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Sunday, 24 April 2011

लघु उद्योगों में जगी नयी उम्मीद / दैनिक भास्कर 24/04/2011


भास्कर संवाददाता.उज्जैन
भारी उद्योग सामाजिक संरचना के पोषक नहीं होते हैं। लघु उद्योगों के जरिए ही समाज को एक नई दिशा मिलती है। अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और सामाजिक संरचना के बेहतर विकास के लिए लघु उद्योगों का बेहतर विकास होना चाहिए। वास्तविकता में किसी भी देश और समाज की पहचान लघु उद्योग ही हैं। लघु उद्योगों के विकास के लिए सभी को मिलकर साथ आने की आवश्यकता है। यह बात प्रदेश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने लघु उद्यमियों के सम्मेलन में आए लघु उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कही। विजयवर्गीय ने उद्योगपतियों के समक्ष एक वाकया प्रस्तुत करते हुए बताया कि पिछली दिवाली पर वे जब अपने बच्चों के साथ खरीदारी करने गए थे तो बाजार में चाइना की चीजों को देखकर काफी आश्चर्य हुआ। विजयवर्गीय ने कहा कि इस विषय पर राष्ट्रीय चिंतन की आवश्यकता है। क्योंकि जिस तेजी के साथ चाइना की वस्तुएं बाजार में आ रही है उससे देश के कुशल कारीगरों की मेहनत को अपने ही देश में तवज्जो नहीं मिल पा रही है। लघु उद्योग से संबंधित समस्याओं को लेकर उद्योग मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि चुनौतियों के सामने खड़े रहने वाला ही असली इंसान होता है। हालांकि उन्होंने लघु उद्योग भारती के पदाधिकारियों को बातचीत के जरिए समस्याओं को हल करने का आश्वासन देते हुए राज्य सरकार के समक्ष उद्यमियों की समस्याएं रखने की बात कही। राज्यमंत्री पारस जैन ने कहा कि उज्जैन में अगरबत्ती और दोने-पत्तल का व्यापार किया जाता है। कुछ वर्ष पूर्व ही दोने-पत्तलों पर वित्त मंत्री राघवजी से चर्चा कर टैक्स 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया था। आगे भी इसी तरह की पहल सरकार के नुमाइंदे रहकर नहीं अपितु एक आम उद्यमी बनकर की जाएगी। जैन ने कहा कि छोटे और लघु उद्योग ही आगे जाकर बड़े उद्योगों का रूप धारण करते हैं।

सुदृढ़ अर्थव्यवस्था से भारत बनेगा विश्व गुरु

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था से ही उस देश की उन्नति निर्भर होती है। सुदृढ़ अर्थव्यवस्था से ही भारत विश्व गुरु बन सकता है। लघु उद्यमियों के सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. बजरंग लाल गुप्त (नईदिल्ली) ने कहा कि आज हमारे देश में विदेशी नीतियों की नकल हो रही है। जबकि नीतियां प्रत्येक देश और परिस्थिति के आधार पर बनाई जानी चाहिए। अमेरिका का उदाहरण देते हुए डॉ. गुप्त ने कहा अमेरिका ने निन्जास (आय, संपत्ति और रोजगार विहीन लोग) को बिना रिकव्हरी देखे बिना पंद्रह वर्ष पूर्व करीब 1.3 ट्रिलियन डालर के बैंकिंग लोन दिए। जिसके कारण वहां की अर्थव्यवस्थीय नीतियां आज बिगड़ रही है। अमेरिका की नकल करके हमारे देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा नहीं जा सकता। अच्छी अर्थव्यवस्था के लिए सबको रोटी, सबको स्वास्थ्य, सबको शिक्षा और सबको रोजगार की नीति अपनाई जानी चाहिए। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्थानीय संसाधनों को भी पूरा महत्व दिया जाए। संस्कृति, संसाधन, पर्यावरणीय पहलू, ऊर्जा और रोजगार को मिलाकर बनी अर्थव्यवस्था ही सुदृढ़ अर्थव्यवस्था बनेगी।

नई इकाइयों के सृजन पर मंथन

सम्मेलन से पहले सुबह तीन सत्रों में लघु उद्योग भारती के पदाधिकारियों ने नए प्रदेशों सहित अन्य जिलों में नई इकाइयों के सृजन पर मंथन किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद जैन, राष्ट्रीय मार्गदर्शक सांकलचंद बागरेचा सहित वरिष्ठ पदाधिकारियों ने करीब 25 प्रांतों से आए तीन-तीन पदाधिकारियों के साथ चर्चा की। इसके साथ ही संगठन की रचना और वर्तमान परिदृश्य के साथ ही लघु उद्योगों के विकास और समस्याओं के निराकरण के लिए किए जाने वाले प्रयासों के संबंध में विचार-विमर्श किया। बैठक में करीब महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ सहित 25 राज्यों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

यह रखी उद्योग मंत्री के समक्ष प्रमुख मांगें

लघु उद्योगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों।

वर्ष 2010 की उद्योग संवर्धन नीति में लघु उद्योगों के लिए किए गए मात्र 

13 करोड़ की राशि के प्रावधान को बढ़ाया जाए।

इंदौर में पोलो ग्राउंड व सांवेर रोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया की सड़क बनाई जाए।

शासन की प्रस्तावित इंडस्ट्रियल टाउन शिप योजना में आ रही कठिनाइयों 

को दूर किया जाकर उसे शीघ्र लागू किया जाए।

लघु उद्योगों में विद्युत मंडल की विजिलेंस की टीमें छापामारी की कार्रवाई नहीं करते हुए एमडी मीटरों के आधार पर शुल्क वसूल करे।

गुना में उद्योगों के लिए स्थापित बिजली योजना को शीघ्र मंजूरी दी जाए।

डीएमआईसी कॉरिडोर को दी जाने वाली सुविधाएं वर्तमान और नए उद्योगों को भी दी जाएं।

स्टाम्प ड्यूटी को कम कर उसे स्पष्ट किया जाए।

क्रय संग्रहण नीति के अंतर्गत धान को भी शामिल किया जाए। जिससे पोहा मिलों को फायदा हो सके।

कम दर पर लघु उद्योगों को कर्ज मुहैया कराया जाए।

25 लाख रु. तक की पूंजी एवं 25 कर्मचारियों वाले लघु उद्योगों में श्रम कानून को समाप्त किया जाए।

राज्य सरकार में लघु उद्योगों के लिए अलग से मंत्रालय बनाया जाए।

राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद जैन ने मांग की कि खाली पड़ी भूमि को उद्योग हेतु दिया जाए। साथ ही सरकार नीतियां निर्धारण करते समय लघु उद्यमियों की बातें सुने।

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